लाल ग्रह यानि मंगल हमेशा से ही मानव सभ्यता को कौतूहल में डालता रहा है।
इसे लेकर प्राचीन सभ्यताओं में किंवदंतियां भी प्रचलित रही हैं लेकिन आधुनिक काल में विज्ञान ने इसके रहस्यों पर से पर्दा हटाने की काफ़ी कोशिश की है।
एक नज़र मंगल के के अध्ययन करने के वैज्ञानिक प्रयासों पर
1. 14 जुलाई 1965 को मरीनर-4 अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह तक पहुंचा। इसने किसी दूसरे ग्रह की पहली तस्वीरें भेजीं। इसने धरती पर भेजी थी 21 धुंधली काली तस्वीरें। मरीनर-4 मंगल ग्रह से 6,118 मील की दूरी से गुज़रा था। मंगल ग्रह के बारे में मरीनर-4 ने जो जानकारी दी उसकी किसी ने कल्पना
इसे लेकर प्राचीन सभ्यताओं में किंवदंतियां भी प्रचलित रही हैं लेकिन आधुनिक काल में विज्ञान ने इसके रहस्यों पर से पर्दा हटाने की काफ़ी कोशिश की है।
एक नज़र मंगल के के अध्ययन करने के वैज्ञानिक प्रयासों पर
1. 14 जुलाई 1965 को मरीनर-4 अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह तक पहुंचा। इसने किसी दूसरे ग्रह की पहली तस्वीरें भेजीं। इसने धरती पर भेजी थी 21 धुंधली काली तस्वीरें। मरीनर-4 मंगल ग्रह से 6,118 मील की दूरी से गुज़रा था। मंगल ग्रह के बारे में मरीनर-4 ने जो जानकारी दी उसकी किसी ने कल्पना